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خط ۱: | خط ۱: | ||
{{ | {{سرصفحه | ||
| | | مطلع= ای یار ناگزیر که دل در هوای توست | ||
| | | نام شعر= | ||
| | | شاعر = سعدی شیرازی | ||
| | | مصحح = | ||
| | | بخشی از دیوان = | ||
| قالب = غزل | | بخشی از مجموعه اشعار = | ||
| وزن = مفعول فاعلات مفاعیل فاعلن | |قالب = غزل | ||
| موضوع = عرفانی | |وزن = مفعول فاعلات مفاعیل فاعلن | ||
| | |موضوع = عرفانی | ||
| | | قبلی = | ||
| | | بعدی = | ||
| | | سال خورشیدی = | ||
| | | سال میلادی = | ||
| سال قمری = | |||
| یادداشت = | |||
{{شعر}} | {{شعر}} | ||
{{ب|ای یار ناگزیر که دل در هوای توست|جان نیز اگر قبول کنی هم برای توست}} | {{ب|ای یار ناگزیر که دل در هوای توست|جان نیز اگر قبول کنی هم برای توست}} | ||
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{{ب|سعدی ثنای تو نتواند به شرح گفت|خاموشی از ثنای تو حدّ ثنای توست}} | {{ب|سعدی ثنای تو نتواند به شرح گفت|خاموشی از ثنای تو حدّ ثنای توست}} | ||
{{پایان شعر}} | {{پایان شعر}} | ||
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