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خط ۱: | خط ۱: | ||
{{جعبه اطلاعات شعر | {{جعبه اطلاعات شعر | ||
| عنوان = | | عنوان = رسم است هر که داغ جوان دید دوستان | ||
| تصویر = | | تصویر = | ||
| توضیح تصویر = | | توضیح تصویر = | ||
| نام شعر = | | نام شعر = | ||
| نام شاعر = | | نام شاعر = ایرج میرزا | ||
| قالب = | | قالب = غزل | ||
| وزن = | | وزن = مفعول فاعلات مفاعیل فاعلن | ||
| موضوع = | | موضوع = حضرت علی اکبر(ع) | ||
| مناسبت = | | مناسبت = | ||
| زمان سرایش = | | زمان سرایش = | ||
| زبان = | | زبان = فارسی | ||
| تعداد ابیات = | | تعداد ابیات = ۸بیت | ||
| منبع = | | منبع = | ||
}} | }} | ||
'''رسم است هر که داغ جوان دید، دوستان''' | '''رسم است هر که داغ جوان دید، دوستان''' را [[ایرج میرزا]] درباره حضرت علی اکبر(ع)در هشت بیت سروده است. این شعر در قالب غزل در گونه مرثیه با وزن مفعول فاعلات مفاعیل فاعلن سروده شده است. | ||
==متن شعر== | ==متن شعر== | ||
خط ۴۱: | خط ۳۷: | ||
==منابع== | ==منابع== | ||
[[رده:شعر در قالب غزل]] | |||
[[رده:شعر با موضوع لی اکبر(ع)]] | |||
[[رده:شعرهای کهن]] |