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خط ۱: | خط ۱: | ||
{{ | {{سرصفحه | ||
| | | مطلع=امروز که روز دار و گیر است | ||
| | | نام شعر= | ||
| | | شاعر = میرزاحبیب الله خراسانی | ||
| | | مصحح = | ||
| | | بخشی از دیوان = | ||
| قالب = ترکیب بند | |قالب =ترکیب بند | ||
| وزن = مفعول مفاعلن فعولن | |وزن = مفعول مفاعلن فعولن | ||
| موضوع = | |موضوع = عید غدیر | ||
| | | قبلی = | ||
| | | بعدی = | ||
| | | سال خورشیدی = | ||
| | | سال میلادی = | ||
| | | سال قمری = | ||
| یادداشت =این شعر بند دوم از ترکیب بند خراسانی است. | |||
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{{شعر}} | {{شعر}} | ||
{{ب|امروز که روز دار و گیر است|می ده که پیاله دلپذیر است}} | {{ب|امروز که روز دار و گیر است|می ده که پیاله دلپذیر است}} |
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