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Z.khansari (بحث | مشارکتها) بدون خلاصۀ ویرایش |
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خط ۱: | خط ۱: | ||
{{ | {{سرصفحه | ||
| | | مطلع= تا تو شدی کشته ما بیسر و سامان شدیم | ||
| | | نام شعر= | ||
| | | شاعر = غروی اصفهانی | ||
| | | مصحح = | ||
| | | بخشی از دیوان = | ||
| قالب = ترکیب بند(بند۱۵) | |قالب =ترکیب بند(بند۱۵) | ||
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| موضوع =امام حسین(ع) | |موضوع = امام حسین(ع) | ||
| | | قبلی = | ||
| | | بعدی = | ||
| | | سال خورشیدی = | ||
| | | سال میلادی = | ||
| | | سال قمری = | ||
| یادداشت = | |||
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{{شعر}} | {{شعر}} | ||
{{ب|تا تو شدی کشته ما، بیسر و سامان شدیم|یکسره سرگشتهی کوه و بیابان شدیم}} | {{ب|تا تو شدی کشته ما، بیسر و سامان شدیم|یکسره سرگشتهی کوه و بیابان شدیم}} | ||
خط ۲۹: | خط ۲۷: | ||
{{ب|چو ساربان عزا، نواخت بانگ رحیل|سر تو شد روی نی، گمشدگان را دلیل}} | {{ب|چو ساربان عزا، نواخت بانگ رحیل|سر تو شد روی نی، گمشدگان را دلیل}} | ||
{{پایان شعر}} | {{پایان شعر}} | ||
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