۱۹۲
ویرایش
بدون خلاصۀ ویرایش |
بدون خلاصۀ ویرایش |
||
خط ۱: | خط ۱: | ||
{{ | {{سرصفحه | ||
| | | مطلع=چون آسمان کند کمر کینه استوار | ||
| | | نام شعر= | ||
| | | شاعر = صائب تبریزی | ||
| مصحح = | |||
| | | بخشی از دیوان = | ||
| | | بخشی از مجموعه اشعار = | ||
| | | قالب =غزل | ||
| سبک = هندی | |||
| قالب | | موضوع= امام حسین (ع) | ||
| سبک | | قبلی = | ||
| موضوع | | بعدی = | ||
| | | سال خورشیدی = | ||
| | | سال میلادی = | ||
| | | سال قمری = | ||
| | | یادداشت = | ||
| | |||
| | |||
}} | }} | ||
{{شعر}} | |||
{{ب|چون آسمان کند کمر کینه استوار|کشتی نوح بشکند از موجۀ بحار}} | {{ب|چون آسمان کند کمر کینه استوار|کشتی نوح بشکند از موجۀ بحار}} | ||
{{ب|خون شفق ز پنجۀ خورشید میچکد|از بس گلوی تشنه لبان را دهد فشار}} | {{ب|خون شفق ز پنجۀ خورشید میچکد|از بس گلوی تشنه لبان را دهد فشار}} | ||
خط ۴۶: | خط ۳۳: | ||
{{ب|چون خاک کربلا بشود سجده گاه عرش|خون حسین ریخت بر آن خاک مشکبار}} | {{ب|چون خاک کربلا بشود سجده گاه عرش|خون حسین ریخت بر آن خاک مشکبار}} | ||
{{پایان شعر}} | {{پایان شعر}} | ||