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Z.khansari (بحث | مشارکتها) بدون خلاصۀ ویرایش |
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خط ۱: | خط ۱: | ||
{{ | {{سرصفحه | ||
| | | مطلع=بیا که خانۀ چشمم شود چراغانی | ||
| | | نام شعر=دختر انا فتحنا | ||
| | | شاعر = یوسف رحیمی | ||
| | | مصحح = | ||
| | | بخشی از دیوان = | ||
| قالب =غزل | |قالب =غزل | ||
| وزن = مفاعلن فعلاتن مفاعلن فعلن | |وزن = مفاعلن فعلاتن مفاعلن فعلن | ||
| موضوع =حضرت رقیه(س) | |موضوع = حضرت رقیه(س) | ||
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| | | بعدی = | ||
| | | سال خورشیدی = | ||
| | | سال میلادی = | ||
| | | سال قمری = | ||
| یادداشت = | |||
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{{شعر}} | {{شعر}} | ||
{{ب|بیا که خانۀ چشمم شود چراغانی|اگر قدم بگذاری به چشم بارانی}} | {{ب|بیا که خانۀ چشمم شود چراغانی|اگر قدم بگذاری به چشم بارانی}} | ||
خط ۲۹: | خط ۲۷: | ||
{{ب|بیا که دختر تو نیست ماندنی بیتو|بیا که کُشت مرا این شب زمستانی}} | {{ب|بیا که دختر تو نیست ماندنی بیتو|بیا که کُشت مرا این شب زمستانی}} | ||
{{پایان شعر}} | {{پایان شعر}} | ||
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