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{{جعبه اطلاعات شعر | {{جعبه اطلاعات شعر | ||
| عنوان | | عنوان =بهنام آنکه جان را فکرت آموخت | ||
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| تصویر | | توضیح تصویر = | ||
| | | نام شعر = | ||
| نام شاعر =شیخ محمود شبستری | |||
| نام شعر | | قالب = | ||
| وزن = مفاعیلن مفاعیلن فعولن | |||
| شاعر | | موضوع = پیامبر(ص) | ||
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| | | زمان سرایش = قرن هفتم | ||
| موضوع | | زبان = فارسی | ||
| مناسبت | | تعداد ابیات = ۱۰بیت | ||
| منبع = | |||
| زمان سرایش | |||
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| تعداد ابیات =۱۰بیت | |||
| منبع | |||
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'''بهنام آنکه جان را فکرت آموخت''' سروده ای از [[شیخ محمود شبستری]] از [[شاعران ایرانی قرن هفتم]] است. این شعر در فضای مناجات درباره پیامبر(ص) است. این شعر در قالب مثنوی در وزن مفاعیلن مفاعیلن فعولن درده بیت سروده شده است. | |||
==متن شعر== | ==متن شعر== |